सत्य को इश्वर माना जाता हैं,फिर भी सत्य का अन्वेषण काने वाला परेशान होता है,जब कि असत्य के मार्ग पर चलने वाले की राह आसान प्रतीत होती है,इस लिए सत्यान्वेषियो की तुलना में असत्य का अनुसरण करने वालो की संख्या अधिक दिखाइ देती है ऐसा क्यो होता हैं ।यह सदा से मनुष्य के विचार का विषय रहा हैा इस प्रश्न के उत्तर को जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि मनुष्य के संचय का लक्ष्य क्या है ,निश्चित रूप से शक्ति ,एक सांसारिक छण भ्ागुर शक्ति होती है तो असत्य के मार्ग से प्रप्त होती है दूसरी आध्यातमिक वास्तविक शक्ति ासांसारिक शक्ति जहॉ उसे इस माया लोक में उलझाती है वही आध्यात्मिक शक्ति उसके मुक्ती का मार्ग प्रशस्त करती है ा आध्यात्मिक शक्ति अमूल्य धरोहर है जिसे बडी तपस्या से प्राप्त किया जाता है इसे सत्य के पथ के अनुसरण द्धारा ही प्राप्त किया ता सकता है इससे जगत नियन्ता का साक्षात्कार एवं स्वयं के अस्तीत्व का बोध होता है यह कभी न मिटने वाली वह थाती है जो युग युगान्तर तक आपको मार्गदर्शन कराती है ा
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