3 दिसंबर 2011

बेगार करने को मजबूर उत्‍तर प्रदेश मनरेगा मानदेय कर्मी

बेगार करने को मजबूर उत्‍तर प्रदेश मनरेगा मानदेय कर्मी
केन्‍द्र सरकार की अति महत्‍वाकाक्षी योजना मनरेगा जब अपने मानदेय कर्मियो से ही बेगार ले रही है तो देश के ग्रामीण बेरोजगारो को कहां से रोजगार दे पायेगी ा

मनरेगा योजना के आरम्‍भ से ही योजना के कुशल संचालन के लिए नई भर्तीयो का प्रावधान इसमें किया गया था,जिसके अनुपालनार्थ देश मे व्‍याप्‍त भीषण बेरोजगारी का मजाक उडाते हुये राज्‍य सरकारो द्वारा न्‍यूनतम मानदेय के आधार पर ग्राम कोवार्डिनेटर,ग्राम रोजगार सेवक, व्‍लाक कोवार्डिनेटर,तकनीकी सहायक, कम्‍प्‍यूटर आपरेटर, लेखा लिपिक,अतिरिक्‍त कार्यक्रम अधिकारी,एवं जिला कोवार्डिनेटरो की भर्ती की गयी,जिन्‍हे सामान्‍य गुजारा भत्‍ता की तरह प्रशासनिक मद से मानदेय देने का प्रावधान किया गया था,जब कि सरकारी विभागो में समकक्ष पदो पर आसीन कर्मचारी कई गुना अधिक बेतन व भत्‍ता उठाते हैंा

नये शासनादेश के तहत जब से मानव दिवस के आधार पर प्रशासनिक मद का निर्धारण किया जाने लगा है तब से इनका मानदेय भी बन्‍द हो गया है,क्‍यो कि मानव दिवस के निर्माण में इनका योगदान यहां के प्रशासनिक ढांचे को देखते हुये नही के बराबर है,

आथिर्क संकट से गुजर रहा इनका परिवार आज भूखमरी के कगार पर है,

मनरेगा के कुछ मानदेय कर्मियो से सम्‍पर्क करने पर पता चला कि परिवार चलाने के लिए वो रात में पार्टटाइम जांव कर रहे है ,बेरोजगारी की समस्‍या इतनी बडी है कि डूबते को तिनके का सहारा की तरह मिला रोजगार छोडा भी नही जा सकता,

पता नही इस देश की सरकारे कब तक बेरोजगारो का शोषण करती रहेगीा

0 टिप्पणियाँ:

Share

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More