12 दिसंबर 2011

तडप

राहत न सही दर्द की सौगात बहुत है ,
मेरे लिए एक पल की मुलाकात बहुत है।
मैं चॉदनी औ धूप का मोहताज नही हॅू,
मुझको तेरे जलवे की ए बरसात बहुत हैं।
मरने के लिए जहर जरूरी तो नही हैं ,
मुढको तेरी चुभती हुयी एक बात बहुत हैं,
अब और किसी सय की तमन्‍ना नही मुझको
हाथो में मेरे तुने दिया हाथ बहुत है ।

















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