12 दिसंबर 2011

दर्द

खत डालिए हुजुर को आदाब बोलिए
आप आ रहे हैं आज बहुत याद बोलिए
तनहाई भरे दर्द का एहसास क्‍या लिखे 
आप अपने ही जख्‍मो की बस फरियाद बोलिए 
गर दर्द दबाये न दबे वेवफा है वो 
बस दर्द में डुबी हुयी एक बात बोलिए 
दर्द हद से गुजर जायेगा पानी बनकर 
अपने ऑखो में बसे दर्द की इबरात बोलिए  

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