शहीदे आजम की शहादत क्या उन नौजवानो को कुछ सीख दे पायेगी जो आज संकीर्ण से संकीर्ण दायरे में खुद सिमटाते हुये संकीर्णता की नित नई बुलन्दीयो को छू लेने के लिए आतुर है
गॉंधी-इर्विन समझौते के बाद शहीदे आजम को फॉसी दी गयी थी ,इस शहादत ने अंग्रेजी सरकार की चूले हिला दिया पूरा देश इन नौजवानो की शहादत पर रो पडा था,आज हम शायद उस शहादत का मुल्यांकन नही कर पा रहे है जो सारे घरो के लिए थी सारे परिवारो के लिए थी सारे प्रदेशो के लिए थी सारे देश के लिए थी सभी धर्मो के लिए थी सभी जातियो के लिए थी अगर किसी के लिए नही थी तो वह भगत सिह ,राजगुरू और सुखदेव के लिए नही थी जिन्होने हंसते हुये फॉसी के फन्दे को गले में डाल लिया इस संकल्प के साथ कि तेरा वैभव अमर रहे मॉ हम दिन चार रहे न रहे ,जन्म का विवाह केवल मृत्यु के साथ होता है यह सभी जानते है किन्तु जिन्होने घुट-घुट कर मरने का संकल्प लिया है वो शायद इन शहीदो की शहादत का मूल्यांकन नही कर पायेगे
आज इस देश का नौजवान सिमटता जा रहा है अपने और पराये के बीच अपने का दायरा उसने बहुत संकीर्ण कर लिया है शेष सब पराये हो गये है यह देश भी और इस देश के लोग भी ,कोन देगा शहीदे आजम को श्रद्धान्जली कोरे भाषणो से क्या इन कर्म योगियो की आत्मा को शान्ति मिलेगी, >
गॉंधी-इर्विन समझौते के बाद शहीदे आजम को फॉसी दी गयी थी ,इस शहादत ने अंग्रेजी सरकार की चूले हिला दिया पूरा देश इन नौजवानो की शहादत पर रो पडा था,आज हम शायद उस शहादत का मुल्यांकन नही कर पा रहे है जो सारे घरो के लिए थी सारे परिवारो के लिए थी सारे प्रदेशो के लिए थी सारे देश के लिए थी सभी धर्मो के लिए थी सभी जातियो के लिए थी अगर किसी के लिए नही थी तो वह भगत सिह ,राजगुरू और सुखदेव के लिए नही थी जिन्होने हंसते हुये फॉसी के फन्दे को गले में डाल लिया इस संकल्प के साथ कि तेरा वैभव अमर रहे मॉ हम दिन चार रहे न रहे ,जन्म का विवाह केवल मृत्यु के साथ होता है यह सभी जानते है किन्तु जिन्होने घुट-घुट कर मरने का संकल्प लिया है वो शायद इन शहीदो की शहादत का मूल्यांकन नही कर पायेगे
आज इस देश का नौजवान सिमटता जा रहा है अपने और पराये के बीच अपने का दायरा उसने बहुत संकीर्ण कर लिया है शेष सब पराये हो गये है यह देश भी और इस देश के लोग भी ,कोन देगा शहीदे आजम को श्रद्धान्जली कोरे भाषणो से क्या इन कर्म योगियो की आत्मा को शान्ति मिलेगी, >
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